विशेषज्ञ बताते हैं कि इहबास के टेली मानस पर हर साल आठ हजार से अधिक कॉल आती हैं। इसमें आत्महत्या समेत दूसरी इमरजेंसी कॉल तीन फीसदी होती हैं। आत्महत्या की सूचना देने वालों का आंकड़ा हर महीने पंद्रह का है।
कहानी दक्षिण दिल्ली के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की है। कई महीनों से करिअर में मनचाही तरक्की नहीं मिल पा रही थी, इससे उसमें निराशा इस कदर घर कर गई कि खुद को ही खत्म करने का फैसला कर लिया। तनाव की इसी अवस्था में सुबह चार बजे मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) की हेल्पलाइन सेवा टेली मानस पर फोन कर आत्महत्या करने की जानकारी दी। तड़के मिली अनजान कॉल पर टीम अलर्ट हो गई। टीम के कुछ लोग कॉलर का मोबाइल मिलाते रहे, जबकि बाकी ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु की मदद से उसकी लोकेशन के साथ नजदीक के सक्रिय फोन नंबर जुटाए। सभी पर बारी-बारी फोन किया गया।
इसी में पीड़ित के घर का दूसरा नंबर मिला और परिजनों को सूचना दी गई। साथ ही स्थानीय पुलिस से भी संपर्क किया गया। पुलिस और परिवार ने मिलकर आखिरकार युवक को बचा लिया। इहबास में अब उसकी काउंसलिंग चल रही है। इहबास में तड़के आई कॉल न इकलौती है और न अपवाद में, हर दूसरे दिन अपनी जिंदगी से हारा कोई न कोई शख्स टेली मानस पर संपर्क करता है। महीने में 15 से ज्यादा कॉलर अपनी जान का मोह छोड़ देते हैं। त्वरित समाधान के तौर पर इहबास एक तरफ फोन करने वाले को व्यस्त रखने की कोशिश करता है। साथ ही उसकी लोकेशन का पता कर परिवार, पड़ोस व पुलिस को अलर्ट करता है।
हर साल आठ हजार कॉल आती हैं
दिलचस्प यह कि अभी तक इहबास इसमें 100 फीसदी कामयाब रहा है, जिसने भी फोन करके जान देने की बात कही है, सभी को बचा लिया गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इहबास के टेली मानस पर हर साल आठ हजार से अधिक कॉल आती हैं। इसमें आत्महत्या समेत दूसरी इमरजेंसी कॉल तीन फीसदी होती हैं। आत्महत्या की सूचना देने वालों का आंकड़ा हर महीने पंद्रह का है। कई बार मुश्किल इसलिए आती है कि कॉलर कुछ सेकेंड में फोन काट देते हैं। यह समय जान बचाने के लिहाज से बेहद अहम रहता है। इसमें घर या पड़ोस का नंबर मददगार होता है। अभी तक कुछ ही मिनट में लोकेशन की पहचान कर उन तक मदद पहुंचा भी दी जाती है।
घरेलू विवाद में महिला ने छोड़ दिया था जान का मोह
ऐसा ही एक मामला उत्तरी दिल्ली का है। एक महिला ने घरेलू झगड़े से परेशान होकर देर रात टेलीमानस पर कॉल कर आत्महत्या की जानकारी दी। महिला का फोन आते ही टीम अलर्ट हो गई। लोकेशन का पता करने के बाद पुलिस को सूचना दी गई। तकनीक की मदद से नंबर तलाश कर बगल के कमरे में सो रहे पति को फोन किया, लेकिन पति से बात नहीं हो सकी। तब तुरंत महिला की कॉल हिस्ट्री से उसकी बहन का नंबर निकालकर उसे फोन किया और उन्हें इसकी जानकारी दी। वहीं, महिला को भी फोन कॉल बेक कर समझाने की कोशिश करते रहे और उसकी जिंदगी बचाई। महिला की भी काउंसलिंग चल रही है।
इस पर कर सकते हैं कॉल
मानसिक समस्या से जूझ रहे लोग 14416 और 1800914416 हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
आत्महत्या के मामले 22% बढ़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक, दिल्ली में आत्महत्या के मामले 22 फीसदी तक बढ़े हैं। दिल्ली में 2022 में आत्महत्या करने वालों में 75 फीसदी पुरुष हैं। रिपोर्ट के अनुसार बीते साल दिल्ली में 3367 लोगों ने आत्महत्या की, वहीं 2021 में ऐसे 2760 मामले सामने आए थे।
आत्महत्या की कॉल करने वालों में ज्यादा युवा
इहबास के उपचिकित्सा अधीक्षक व मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश का कहना है कि आत्महत्या की कॉल करने वालों में ज्यादातर 20 से 30 साल के युवा होते हैं। यह जल्द हार मान जाते हैं और खुद को खत्म करने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों को समझाकर बचाया जा सकता है। इसमें उनके परिवार की अहम भूमिका रहती है। ऐसे लोगों को समझाने के लिए पहले इनकी बात को पूरी तरह से सुनना होगा। उन्हें विश्वास दिलाना होगा कि जो वह चाहते हैं वही होगा। जान बचने के बाद लंबी काउंसलिंग से उन्हें मानसिक रूप से मजबूत किया जाता है।
आत्महत्या करने वालों में दिखते हैं यह लक्षण
नींद या भूख में बदलाव, खुद से घृणा होना, मृत्यु या आत्महत्या के बारे में पढ़ना या जानकारी जुटाना।
खुद को नुकसान पहुंचाने के संकेतों पर गौर करना, कामकाज में अचानक गिरावट होना।
व्यवहार में बदलाव होना, सामाजिक गतिविधियों से विमुख होना, चिड़चिड़ा होना।
सामाजिक अलगाव, खुद को करता है अलग-थलग, सामान देना, ज्यादा दान करने लगना।