हाईकोर्ट से महिला को झटका, कोर्ट ने कहा- चचेरे भाई से विवाह मान्य नहीं, इस फैसले को दी थी चुनौती
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। उसके और उसके दूर के चचेरे भाई के बीच विवाह को अमान्य घोषित कर दिया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 (वी) की सांविधानिक वैधता को बरकरार रखा है। धारा 5 (वी) के अनुसार एक-दूसरे से 'सपिंड' यानी चचेरे भाई या चचेरी बहन के रूप में संबंधित पक्षों के बीच विवाह तब तक संपन्न नहीं माना जाएगा, जब तक कि यह उन्हें नियंत्रित करने वाले रीति-रिवाज से स्वीकृत न हो।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि यदि विवाह में साथी की पसंद को अनियमित छोड़ दिया जाता है, तो अनाचारपूर्ण रिश्ते को वैधता मिल सकती है।
अदालत ने इस प्रावधान को रद्द करने की मांग करने वाली एक महिला की जनहित याचिका को खारिज कर दिया। उसने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उक्त प्रावधान के अनुसार उसके और उसके दूर के चचेरे भाई के बीच विवाह को अमान्य घोषित कर दिया गया था।
उनकी अपील को पिछले साल अक्तूबर में एक समन्वय पीठ ने खारिज कर दिया था। पीठ ने महिला के इस तर्क को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया कि विवादित धारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।