नोएडा फर्जी कॉल सेंटर: लड़के-लड़कियों से फिल्म की तरह लिखवाई जाती है स्क्रिप्ट, 500 अमेरिकियों से ऐसे ठगे 60 करोड़
अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर का नोएडा पुलिस ने खुलासा किया है। नोएडा सेक्टर-6 में संचालित किए जा रहे कॉल सेंटर से 38 महिला कर्मियों व मैनेजर विवेक समेत 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि दोनों सरगना योगेश पुजारी और हर्षित फरार हो गए।
कॉल सेंटर से फोन और वॉयस मेल कर सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) से आपराधिक गतिविधियों में लिप्त खाते की जांच के नाम पर ठगी की जा रही थी। जालसाज क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड से कैश हवाला के माध्यम से अपने खातों में मंगवा रहे थे। कॉल सेंटर से चार माह में 500 से अधिक अमेरिकी नागरिकों को 60 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
एफबीआई व अन्य विदेशी एजेंसियों से सूचना मिलने के बाद बुधवार को नोएडा पुलिस की टीम ने कोतवाली फेज वन क्षेत्र स्थित सेक्टर-6 की बिल्डिंग में दबिश थी। मौके पर अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का बड़ा सेट अप मिला। फरार योगेश पुजारी और हर्षित ने चार माह पहले कॉल सेंटर खोला था। यहां से एक्सएलाइट सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर अमेरिकी नागरिकों को वॉयस मेल भेजा जाता था। नोएडा जोन के डीसीपी हरीश चंदर का कहना है कि अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। आरोपियों के हवाला कनेक्शन की जांच जारी है। उन्होंने योगेश और हर्षित को जल्द गिरफ्तार करने का दावा किया।
इस तरह से की जाती थी विदेशियों से ठगी
आधार कार्ड की तरह अमेरिकी नागरिकों के पास सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) होता है। कॉल सेंटर से सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम से वॉयस मैसेज भेजे जाते थे। जिसमें एसएसएन से लिंक खातों के आपराधिक इस्तेमाल की जानकारी देते हुए अकाउंट फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू करने बात कही जाती थी। लिंक पर क्लिक करने का सुझाव दिया जाता था। लिंक पर क्लिक करते ही पैसे बचाने का लालच देकर अकाउंट में जमा कैश को क्रिप्टो करेंसी या गिफ्ट कार्ड में बदलने का सुझाव देते थे। हामी मिलते ही बार कोड भेजकर ठगी की जाती थी।
20 लाख नकद, 150 कंप्यूटर व सर्वर बरामद
आरोपियों के पास से 20 लाख नकद, 150 कंप्यूटर, 13 फोन, एक बड़ा सर्वर और क्रेटा कार बरामद की गई है। वहीं 42 प्रिंट आउट भी बरामद हुए हैं जिसमें अमेरिकी नागरिकों से कैसे करें ठगी की स्क्रिप्ट लिखी थी।
सभी कर्मिचारियों को पता था वो धोखाधड़ी कर रहे हैं
एडीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी के मुताबिक चार माह पहले शुरू किए गए कॉल सेंटर की बिल्डिंग का किराया सात लाख रुपये प्रतिमाह था। कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी आसपास के लोगों से अधिक संपर्क नहीं रखते थे। सभी कर्मियों को पता था कि वह धोखाधड़ी कर रहे हैं।
यूएस एक्सेंट में करते थे बात
कॉल सेंटर में कार्यरत अधिकतर पूर्वोत्तर राज्यों के निवासी हैं। संचालक योगेश, हर्षित और गिरफ्तार मैनेजर विवेक सभी को अमेरिकी उच्चारण एक्सेंट में बातचीत का प्रशिक्षण देते थे। बातचीत का लहजा एक होने से अमेरिकी नागरिक आसानी से कॉलर की बातों पर भरोसा कर लेते थे।
चार लाख अमेरिकी नागरिकों का डाटा मिला
डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि कॉल सेंटर के मालिकों व कर्मचारियों के पास चार लाख से अधिक अमेरिकी नागरिकों का डाटा मिला है। जिसके आधार पर कॉल कर जालसाजी की जाती थी। जालसाजों ने डाटा डार्क वेब से हासिल किए थे।
इंटरपोल और एफबीआई से हुआ था समझौता
वर्ष 2018 में नोएडा पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल और अमेरिकी पुलिस एजेंसी एफबीआई से समझौता किया था, जिसके तहत दोनों एजेंसियों ने कॉल सेंटर प्रकरण में मदद करने की बात कही थी। उस दौरान एफबीआई इंटरपोल के अधिकारी नोएडा आए थे और तत्कालीन एसएसपी डॉ. अजय पाल शर्मा से मुलाकात कर खाका तैयार किया था। हालांकि इसका बहुत अधिक फायदा नहीं दिखा। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि इन मामलों में देर जरूर हो रही है लेकिन भारतीय एजेंसियां जल्दी विदेशी एजेंटों को भी गिरफ्तार करेंगी।