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गाजियाबाद का बदलेगा नाम, निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास, सदन में लगे भारत माता के जयकारे

Divya Dubey
10 Jan 2024 11:25 AM IST
गाजियाबाद का बदलेगा नाम, निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास, सदन में लगे भारत माता के जयकारे
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100 पार्षदों में से बैठक में मौजूद 89 में 87 ने इसका समर्थन किया। पांच मिनट की चर्चा के बाद ही महापौर सुनीता दयाल ने जैसे ही कहा, नाम बदले जाने का प्रस्ताव मंजूर किया जाता है, वैसे ही सदन में भारत माता के जयकारे गूंजने लगे।

नगर निगम की बोर्ड बैठक में मंगलवार को गाजियाबाद जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव पास कर दिया गया। 100 पार्षदों में से बैठक में मौजूद 89 में 87 ने इसका समर्थन किया। पांच मिनट की चर्चा के बाद ही महापौर सुनीता दयाल ने जैसे ही कहा, नाम बदले जाने का प्रस्ताव मंजूर किया जाता है, वैसे ही सदन में भारत माता के जयकारे गूंजने लगे।

बोर्ड बैठक के लिए यह प्रस्ताव वार्ड 100 (इंदिरापुरम क्षेत्र) से भाजपा के पार्षद संजय सिंह ने रखा था। उन्होंने दो नाम सुझाए थे, गजनगर या हरनंदीनगर। पार्षदों ने कहा कि यह प्रस्ताव महापौर सुनीता दयाल स्वयं पेश करें।

इस पर प्रस्ताव रखते हुए महापौर ने कहा, गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग लंबे समय से की जा रही है। यह ऐतिहासिक काम अब पूरा होने जा रहा है। इस प्रस्ताव को जल्द ही शासन के पास भेज दिया जाएगा। उनके यह कहते ही पार्षद मेज थपथपाने लगे। आधे से ज्यादा पार्षद खड़े हो गए और भारत माता के जयकारे लगाने लगे। सिर्फ दो पार्षदों ने ही प्रस्ताव पर अपना विरोध दर्ज कराया।

गाजीउद्दीन के नाम पर पड़ा गाजियाबाद

गाजियाबाद शहर की स्थापना 1740 में मुगल बादशाह मोहम्मद शाह के वजीर गाजीउद्दीन ने की थी। गाजीउद्दीन ने ग्रांड ट्रंक (जीटी) रोड के किनारे एक शहर बसाया था। इसके चार दरवाजे थे। शहर का नाम गाजीउद्दीन के नाम पर ही गाजीउद्दीन नगर पड़ गया। यह बाद में गाजियाबाद कहा जाने लगा।

नए नाम पर चर्चा : दूधेश्वरनगर हरनंदीनगर, गजनगर या कुछ और

गाजियाबाद। गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव नगर निगम बोर्ड से पास होते ही सबसे पहला सवाल यह उठा है कि नया नाम क्या होगा? हालांकि, नगर निगम ने इसका फैसला शासन पर छोड़ दिया है, लेकिन कई नाम लंबे समय से चर्चा में है। इनमें सबसे प्रमुख गजनगर, दूधेश्वरनगर और हरनंदीनगर हैं। इनके अलावा और भी नाम हैं। हर नाम के पीछे कोई वजह है। नाम बदलने की यह मांग लगभग तीन दशक से उठ रही है। चुनाव आते ही यह जोर पकड़ लेती है। इस बार लोकसभा चुनाव के साल में इसका प्रस्ताव पास हुआ है।

Divya Dubey

Divya Dubey

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