महिला जज ने आरोप लगाया कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान एक विशेष जिला न्यायाधीश और उनके सहयोगियों ने मेरा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया। मुझे रात में जिला जज से मिलने के लिए कहा गया। मैंने 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और प्रशासनिक न्यायाधीश (हाईकोर्ट के न्यायाधीश) से शिकायत की लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात ने एक महिला जज ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को खत लिखकर एक जिला न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। साथ ही महिला जज ने सीजेआई से सम्मानजनक ढंग से अपना जीवन खत्म करने की अनुमति मांगी।
खत के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला का संज्ञान लेते हुए सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। सूत्रों के अनुसार, सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने बृहस्पतिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट के महासचिव अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने को कहा।
कुरहेकर ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज की सारी शिकायतों की जानकारी मांगी है। साथ ही शिकायत से निपटने वाली आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष कार्यवाही की स्थिति के बारे में पूछा है। सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने भी सार्वजनिक पत्र का संज्ञान लिया है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर को महिला जज की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट का कहना था कि आंतरिक समिति इस मामले को देख रही है, लिहाजा इसमें दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता। आठ सेकंड के अंदर अपनी याचिका खारिज होने से दुखी महिला जज ने सीजेआई के नाम दो पेज का खत लिखा।
इसमें लिखा कि उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन उनका पहला प्रयास असफल रहा। सीजेआई को ‘सबसे बड़े अभिभावक’ के रूप में संबोधित करते उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति मांगी, और उन्होंने लिखा कि मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं बचा है।
आरोप : रात में जिला जज से मिलने को कहा गया
महिला जज ने आरोप लगाया कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान एक विशेष जिला न्यायाधीश और उनके सहयोगियों ने मेरा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया। मुझे रात में जिला जज से मिलने के लिए कहा गया। मैंने 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और प्रशासनिक न्यायाधीश (हाईकोर्ट के न्यायाधीश) से शिकायत की लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
किसी ने भी मुझसे यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि क्या हुआ, आप परेशान क्यों हैं? उन्होंने लिखा कि वह केवल निष्पक्ष जांच चाहती थीं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर उन्होंने इस महीने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसे बुधवार को आठ सेकंड के अंदर खारिज कर दिया गया।
मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है। मैं किसी कीड़े जैसी महसूस कर रही हूं और मैं दूसरों को न्याय दिलाना चाहती थी। मैं कितनी भोली हूं! मैं भारत की सभी कामकाजी महिलाओं से कहना चाहती हूं, यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीख लें। यह हमारे जीवन का सच है।