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एनसीआर

Delhi : सरकारी जमीन पर कब्जा डकैती के समान, नगर निगम को निगरानी का आदेश -हाईकोर्ट

Kanishka Chaturvedi
8 Feb 2024 7:51 AM GMT
Delhi :  सरकारी जमीन पर कब्जा डकैती के समान, नगर निगम को निगरानी का आदेश -हाईकोर्ट
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दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक भूमि पर कब्जा डकैती के समान है। अदालत ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से कहा कि इस पर निगरानी के लिए ड्रोन और उपग्रह चित्र (सैटेलाइट इमेज) का इस्तेमाल करें। अदालत ने सुनवाई में मौजूद एमसीडी अधिकारी को फाइल देखने के बाद बृहस्पतिवार को भी पेश होने को कहा। इसमें संबंधित डीडीए अधिकारी को भी उपस्थित होने को कहा गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र संरक्षित स्मारकों निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे के पास एक अवैध निर्माण पर नाराजगी व्यक्त की और टिप्पणी की कि पुलिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सूचना के बावजूद अधिकारियों ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया।

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा ने कहा, जनता जमीन खो रही है। राज्य संपत्ति खो रहा है। जब भी कोई अवैध निर्माण होता है तो निर्दोष नागरिकों की रक्षा के लिए अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत गैर सरकारी संगठन जामिया अरबिया निजामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें दावा किया गया था कि बावली गेट के पास खसरा संख्या 556 जियारत गेस्टहाउस, हजरत निज़ामुद्दीन दरगाह पुलिस बूथ के पास अवैध निर्माण किया जा रहा है।

वकील राकेश लाकड़ा के माध्यम से प्रस्तुत याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि डीडीए, एमसीडी, दिल्ली पुलिस और एएसआई गेस्टहाउस में निर्माण को रोकने में विफल रहे हैं, जो केंद्रीय संरक्षित स्मारकों निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे के 100 मीटर के भीतर था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार संपत्ति को सील कर दिया गया था, लेकिन बाद में अवैध निर्माण फिर से होने लगा। वकील ने दलील दी कि इस क्षेत्र में अधिकारियों ने बड़ी संख्या में अवैध गेस्ट हाउसों को संचालित करने की अनुमति दी है। इससे क्षेत्र के पर्यावरण, विरासत और सांस्कृतिक महत्व को खतरा है।

यह धारणा बन रही है कि कानून नाम की कोई चीज नहीं

अदालत ने गेस्टहाउस के मालिक से भी सवाल किया कि पहले से ही सील की गई संपत्ति पर तीन मंजिलों का निर्माण करने का दुस्साहस कैसे किया। अदालत ने कहा, लोग कानून अपने हाथ में ले रहे हैं। यह अवधारणा बन रही है कि कानून नाम की कोई चीज नहीं है। किसी कानून का पालन करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने कहा, डीडीए और एमसीडी दोनों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। ये चीजें किसी के समर्थन के बिना नहीं हो सकतीं। यदि समर्थन नहीं है, तो मिलीभगत की कोई रणनीति अपनाई गई होगी।

Kanishka Chaturvedi

Kanishka Chaturvedi

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