Begin typing your search above and press return to search.
एनसीआर

Delhi : एम्स करेगा स्ट्रोक के रोगियों का स्वदेशी म्यूजिक थेरेपी से इलाज , विदेशी पद्धति भारत में नहीं कारगर

Kanishka Chaturvedi
9 Feb 2024 3:30 PM IST
Delhi : एम्स करेगा स्ट्रोक के रोगियों का स्वदेशी म्यूजिक थेरेपी से इलाज , विदेशी पद्धति भारत में नहीं कारगर
x

स्ट्रोक के बाद बोलने में दिक्कत और भाषा की समस्या को स्वदेशी म्यूजिक थेरेपी से दूर किया जाएगा। एम्स ऐसे रोगियों की समस्याओं को दूर करने के लिए शोध कर रहा है। मौजूदा समय में डच, स्पेनिश सहित कुछ अन्य देशों में इस्तेमाल होने वाली थेरेपी को भारत में इस्तेमाल किया जाता है। भारत के मरीजों पर उक्त थेरेपी सीधे कारगर नहीं है। ऐसे में भारत के लोगों की जरूरत के आधार पर इस थेरेपी को तोड़मरोड़ कर इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में इसका प्रभाव कम दिखता है।

विशेषज्ञों की माने तो स्ट्रोक के बाद 21 से 38 फीसदी मरीजों में अफेजिया रोग हो जाता है। इसमें बोलने की क्षमता या भाषा की दिक्कत हो जाती है। अफेजिया लिखी और बोली जाने वाली भाषा को अभिव्यक्त करने और समझने की क्षमता पर असर डालता है। एक बार मूल कारण का इलाज हो जाने के बाद अफेजिया का मुख्य इलाज स्पीच थेरेपी से होता है। इसकी मदद से बोलने में कठिनाई को दूर किया जा सकता है।

आईआईटी दिल्ली के साथ होगा शोध

एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की डॉक्टर दीप्ति विभा ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के सहयोग से उपचार की नीति तैयार की जा रही है। इसे लेकर एक अध्ययन किया जा रहा है जो तीन साल चलेगा। इसमें 60 ऐसे मरीजों पर शोध होगा जिन्हें एक साल में स्ट्रोक आया और उनकी बोलने व भाषा की क्षमता प्रभावित हुई। अध्ययन के दौरान एम्स ऐसे मरीजों को मुफ्त सुविधा उपलब्ध करवाएगा। अध्ययन में शामिल होने के लिए ऐसे मरीज 8929466866 नंबर पर एम्स में संपर्क कर सकते हैं।

दिमाग के बाएं हिस्से से होता है कंट्रोल

विशेषज्ञों की माने तो दिमाग के बाएं हिस्से से बोलने व भाषा को समझने की क्षमता कंट्रोल होती है। स्ट्रोक के दौरान ऐसे मरीजों में यह प्रभावित होती है। म्यूजिक थेरेपी के दौरान इसे फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया जाता है। इसमें कोशिश की जाती है कि ऐसे म्यूजिक शब्दों का प्रयोग किया जाए जो मरीज को आसानी से समझने में आए और वह उक्त संगीत का रस ले सकें। इसकी मदद दिमाग में रसायनिक सुधार होता है जो इस विकार को दूर करने में मदद करता है।

स्ट्रोक मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण

देश में हर साल हजारों की संख्या में लोगों को स्ट्रोक आता है। ठंड के समय इसकी संख्या बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। इसके अलावा स्ट्रोक के कारण दिव्यांगता भी आ जाती है। तीव्र स्ट्रोक के दौरान 21 से 38 फीसदी रोगियों के मस्तिष्क में क्षति से अफेजिया या भाषा की कार्यक्षमता में नुकसान हो जाता है। म्यूजिक थेरेपी से इसे सुधारा जा सकता है।

Kanishka Chaturvedi

Kanishka Chaturvedi

    Next Story