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New Parliament Building: 'कांग्रेस की आदत है विवाद खड़े करना' शशि थरूर के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार

New Parliament Building: कांग्रेस की आदत है विवाद खड़े करना शशि थरूर के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार
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New Parliament Building: नई दिल्ली। देश में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासत हो रही है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को भारत का संविधान पढ़ने की सलाह दी है। वहीं, अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी ट्वीट कर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है। बता दें कि पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। कांग्रेस नेताओं की मांग है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए।

बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को ट्वीट कर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के हाथों संसद के नए भवन का उद्घाटन कराने की मांग की थी। इसको लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इसको लेकर बीजेपी पर हमला बोला है।

हरदीप पुरी का पलटवार

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शशि थरूर के ट्वीट को रिट्वीट किया है। साथ ही उन्होंने पलटवार भी किया। हरदीप सिंह ने कहा,

ये कांग्रेस की आदत है, जहां विवाद नहीं होता, वहां भी विवाद खड़ा कर देती है। राष्ट्रपति देश के प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं। प्रधानमंत्री सरकार की ओर से संसद का नेतृत्व करते हैं। उनकी नीतियां कानून के रूप में लागू होती हैं। राष्ट्रपति किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, जबकि पीएम हैं।

क्या बोले शशि थरूर?

शशि थरूर ने खरगे का एक ट्वीट शेयर किया है। थरूर ने कहा,

हां खरगे साहब ठीक हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 60 और 111 के मुताबिक, राष्ट्रपति संसद के प्रमुख हैं। अजीब है कि जब नए संसद भवन का निर्माण शुरू हुआ तो प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन समारोह और पूजा की, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन नहीं किया जाना समझ से परे है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था,

ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने केवल राजनीतिक कारणों से अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदायों के लोगों को भारत का राष्ट्रपति बनाया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नई संसद के शिलान्यास समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। राष्ट्रपति संसद की संवैधानिक मुखिया हैं। केंद्र सरकार ने सिर्फ चुनावी लाभ के लिए दलित और अनुसूचित जाति से राष्ट्रपति बनाए।

वार्ता 24 संवाददाता

वार्ता 24 संवाददाता

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