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मुंबई सेंसर बोर्ड का खलबली मचाने वाला कारनामा, अभिनेताओं के चेहरे नेताओं जैसे दिखे तो रिजेक्ट कर दी फिल्म
बीते साल केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) का मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय अपनी कारगुजारियों के चलते खूब सुर्खियों में रहा। साउथ की एक फिल्म के हिंदी डब संस्करण को प्रमाणित करने के लिए इस दफ्तर से जुड़े लोगों पर रिश्वत लेने के आरोप लगे। मामला सीबीआई तक पहुंचा और तत्कालीन सीईओ रविंद्र भाकर को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। नए सीईओ ने आते ही कार्यालय में काम करने के तौर तरीकों में बदलाव की शुरुआत की है और उनके कार्यभार संभालने के बाद जिस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने प्रमाण पत्र देने से ही इंकार कर दिया है, वह फिल्म आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
हिंदी फिल्म ‘पॉलिटिकल वॉर’ के निर्माता मुकेश मोदी बताते हैं, ‘इस फ़िल्म को हमने सेंसर के लिए 22 अगस्त को सबमिट किया था, उस समय इसका टाइटल था "2024 इलेक्शन वॉर"। लेकिन, इस टाइटल को उकसाने वाला कहा गया, जबकि इम्पा ने हमें यह टाइटल रजिस्टर्ड कर के दिया था। उसके बाद हमने फ़िल्म का नाम “पॉलिटिकल वॉर” रखा। जब फिल्म का प्रीव्यू रखा गया तो उसे बिना किसी शो कॉज नोटिस के रिवीजन कमेटी में भेज दिया गया। तीन महीने बाद रिवीजन कमेटी ने फिल्म देखी और 22 दिसम्बर को कमेटी ने फिल्म रिजेक्ट कर दी।’
मुकेश सेंसर बोर्ड से काफी नाराज हैं, उनका कहना है कि सेंसर सर्टिफिकेट न मिलने की वजह से यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हो पा रही है। फिल्म को सेंसर करवाने के लिए वह पिछले तीन महीने से भारत में हैं मगर बिना किसी ठोस वजह के उनकी फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया। फिल्म ‘पॉलिटिकल वॉर’ में सीमा बिस्वास, रितुपर्णा सेनगुप्ता, मिलिंद गुणाजी, प्रशांत नारायण, अभय भार्गव, शिशिर शर्मा, अमन वर्मा, जितेन मुखी, पृथ्वी जुत्शी, देव शर्मा, अरुण बख्शी जैसे कलाकार हैं।
फिल्म ‘पॉलिटिकल वॉर’ के निर्माता मुकेश मोदी का कहना है कि फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट न देने की जो वजह बताई गई, वह काफी हास्यास्पद है। मोदी के मुताबिक सेंसर बोर्ड ने ये फिल्म इसके कलाकारों के चेहरा भारतीय राजनेताओं से मिलते जुलते होने के चलते खारिज कर दी है। मुंबई का सेंसर बोर्ड कार्यालय सिर्फ ईमेल के जरिये काम करता है। इसका कोई भी लैंडलाइन टेलीफोन नंबर काम नहीं करता है। अधिकारियों के सीयूजी नंबर भी विभाग ने सार्वजनिक नहीं किए हैं। इस फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिया गया, इस बाबत सेंसर बोर्ड का कोई प्रवक्ता उपलब्ध नहीं हुआ। बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी की ईमेल आईडी पर भेजे गए मेल का अब तक जवाब नहीं आया है।
मुकेश मोदी का कहना है कि सेंसर बोर्ड ‘एनिमल’ और ‘सलार’ जैसी हिंसा से भरपूर फिल्मों को सर्टिफिकेट दे रहे हैं, जिनमें महिलाओँ पर काफी अत्याचार दिखाया गया है, मगर वे एक अच्छे मैसेज वाली फिल्म को दर्शकों तक पहुंचने से रोक रहे हैं। फिल्म की पूरी कहानी काल्पनिक है लेकिन सेंसर वालों का कहना है कि किरदारों के लुक बड़े नेताओं से मिल रहे हैं। मोदी के मुताबिक ये फिल्म 16 फरवरी को विदेश में रिलीज की तैयारी में हैं।