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Meerut News : शासन ने ऐसे लोगों की सूची मांगी है, जो सांप्रदायिक हिंसा या देशद्रोह में लिप्त है।
Meerut: प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा और देशद्रोह जैसे मामलों में लिप्त रहने वाले लोगों पर अब शासन स्तर से नजर रखी जाएगी। शासन की ओर से सभी जिलों से ऐसे लोगों की भी सूची मांगी गई है, जो सांप्रदायिक हिंसा या देशद्रोह में लिप्त रह चुके हों, या फिर आशंका हो कि वह भविष्य में माहौल बिगाड़ सकते हैं। अब पुलिस अपने-अपने क्षेत्र के ऐसे लोगों को चिन्हित कर रही है। इसकी सूची जल्द ही शासन को भेजी जाएगी। सूची में किन-किन लोगों के नाम शामिल किए जा रहे हैं, इसके बारे में गोपनीयता बरती जा रही है।
इसका उद्देश्य यह है कि यदि भविष्य में सांप्रदायिक हिंसा और देशद्रोह जैसा कोई मामला प्रकाश में आता है तो सबसे पहले यही लोग निशाने पर होंगे। इन्हीं लोगों से पूछताछ होगी। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिस व्यक्ति का नाम सूची में शामिल हो, उसे अपराधी ही मान लिया जाए। सभी सबूत सामने आने के बाद ही उन पर कोई कार्रवाई होगी। प्रदेश में शांति व्यवस्था के मकसद से ऐसा किया जा रहा है।
प्रदेश के कई शहरों में सीएए और एनआरसी मामले में हुए थे दंगे
वर्ष 2019 में नागिरकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान भी प्रदेश के कई शहरों में दंगे हुए थे। मेरठ में भी छह लोगों की मौत हुई थी। इसमें 60 से अधिक लोगों के खिलाफ देशद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज किया था। उसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के लोगों के नाम भी आए थे।
पकड़े जा चुके हैं रोहिंग्या
प्रदेश में समय-समय पर रोहिंग्या के मामले भी उठे हैं। हाल ही में मुरादाबाद पुलिस ने रोहिंग्या परिवार को पकड़ा था, जिससे पूछताछ में पता चला था कि वह कुछ साल पहले तक मेरठ में ही रह रहा था। इसके अलावा भी रोहिंग्या के कई मामले आ चुके हैं।
सांप्रदायिक हिंसा और देशद्रोह जैसे मामलों में लिप्त रहने वाले लोगों का पूरा रिकॉर्ड तैयार किया जाता है, जिसके बाद समय-समय पर सूची मुख्यालय भेजी जाती है। - राजीव सभरवाल, एडीजी जोन