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2001 में खोजा गया संक्रमण वायरस, एचएमपीवी वायरस का प्रसार और बचाव के उपाय
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की तबाही के बाद एक और खतरनाक वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है, जिससे लोग भयभीत हैं। चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटाप्नेयूमोवायरस (HMPV) ने भारत में भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। बेंगलुरु में आठ महीने की बच्ची और तीन महीने के बच्चे में संक्रमण की पुष्टि हुई है, जबकि गुजरात के अहमदाबाद में भी एक नवजात शिशु को इस वायरस से संक्रमित पाया गया है।
वहीं, दूसरी तरफ कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है अभी ऐसा कोई HMPV का कोई मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, चीन में इस वायरस के मामलों को देखते हुए भारत सरकार सतर्क हो गई है।
आपको बता दें, कि यह एचएमपीवी की पहली बार 2001 में खोज की गई थी। यह रेस्पिरेटरी संकाइटियल वायरस (आरएसवी) के साथ न्यूमोविरिडे का हिस्सा है। यह वायरस मुख्य रूप से खांसने, छींकने, संक्रमित व्यक्ति को छूने या हाथ मिलाने से फैलता है। यह कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों, बच्चों और बुजुर्गों को अधिक प्रभावित करता है। यह वायरस कोरोना की तरह सांस संबंधी बीमारियां पैदा कर सकता है लेकिन यह कोरोना के मुकाबले कम खतरनाक है।
कैसे फैलता है वायरस?
यह एचएमपीवी दो लोगों के बीच सांस लेने प्रणाली के माध्यम से फैलता है। इसके अलावा लोगों के बीच संपर्क जैसे कि हाथ मिलाना या वायरस से दूषित किसी वस्तु को छूने आदि से फैल सकता है। इसलिए लोगों को मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। लोगों को सेनिटाइजर को उपयोग करना चाहिए, किसी से हाथ का स्पर्श हो रहा है तो उसे हाथ धुल लेने चाहिए नहीं तो सेनिटाइजर का प्रयोग कर सकते है। सोशल डिस्टेंसिंग से लोगों से मिले, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। इन सावधानियों का पालन करके वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है।