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नौकरी

उत्तरकाशी की बेटी सुजादा आजाद बनी अभियोजन अधिकारी, कोरोना काल ने बदला जीवन, पढ़ें ?

Harish Thapliyal
21 Sep 2023 2:13 AM GMT
उत्तरकाशी की बेटी सुजादा आजाद बनी अभियोजन अधिकारी, कोरोना काल ने बदला जीवन, पढ़ें ?
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देहरादून। कठिनाइयों के बीच भी जो डटकर अपने सपने को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे, ऐसे ही युवा नए मुकाम हासिल करते हुए इतिहास रचते हुए अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बनते हैं।

कुछ इसी तरह का इतिहास उत्तरकाशी जिले की डांग (ब्रह्मखाल) गांव की बेटी सुजाता आजाद ने रचा है। सुजाता आजाद का चयन सहायक अभियोजन अधिकारी के पद पर हुआ है। उन्हें सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नियुक्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

सुजाता की इस उपलब्धि से जनपद और इलाके का मान बढ़ा है। उनकी यह सफलता इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्होंने जीवन में इतने उतार-चढ़ाव और कठिनाइयां देखी की मनुष्य टूट जाता है। लेकिन उसके बावजूद भी वह अपने प्रयास में लगी रही।

उन्होंने एलएलबी की पढाई देहरादून के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज से पूरी की। और एलएलएम केंद्रीय विश्व विद्यालय एचएनबी से पास किया। जबकि सुजाता आजाद ने हाईस्कूल की परीक्षा सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज चिन्यालीसौड़ से पास की। और इन्टरमीडिएट राजकीय इंटर कॉलेज चिन्यालीसौड़ से किया।

एपीओ परीक्षा 2023 में चयनित सुजाता आजाद ने बताया कि कोरोना काल के दौरान उनके पिता की तबीयत बिगड़ी और वे अस्पताल के आईसीयू में भर्ती रहे।

सुजाता अपने पिता के साथ अस्पताल में कई दिन तक रुकी, उन्होंने अस्पताल में भी अपनी पढ़ाई को जारी रखा उन्हें इस दौरान आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा।

परिवार के सामने और भी ज्यादा चुनौती खड़ी हो गई जिससे उभरने के लिए घर परिवार को काफी समय लगा लेकिन सुजाता पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की विभिन्न पंक्तियों के सहारे इस कठिनाइयों के दौर में उम्मीद की रोशनी को जगाए रही, कभी ना कभी तो यह अंधेरा छटेगा और फिर रोशनी होगी।

युवाओं को संदेश

हमें कभी धैर्य का साथ नही छोड़ना चाहिए और दिमाग को नियंत्रित करने की क्षमता होनी चाहिए। खासतौर पर लड़कियों को इमोशनल इंटेलिजेंस सीखना चाहिए जिससे लक्ष्य सिद्ध करना आसान हो जाता है। उन्होंने कहा कि जीवन में कई बार बुरा समय भी आ जाता है लेकिन विषम परिस्थितियों में जीना है यही जीवन है। हर क्षेत्र में रास्ते खुले हैं संकल्प के साथ बढ़ें अवश्य कामयाबी मिलेगी।



बचपन में फूलन देवी की कथाएं सुनी

मैं हिंदी माध्यम की छात्रा रही हूं। मध्यम वर्गीय परिवार से आती हूं। मेरा बचपन राजनैतिक स्त्रियों जैसे इंदिरा गांधी एवं बगावती स्त्रियों जैसे फूलन देवी की कथाएं सुनकर बीता है। विधि में स्नातक करना एक अभिज्ञ निर्णय था जो कि बचपन से माता पिता की प्रेरणा एवं समाजिक रुचि के कारण मिला।




Harish Thapliyal

Harish Thapliyal

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