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QR code on medicine: QR कोड से होगी अब असली दवाइयों की पहचान ।
ऐसी कई घटनाये सामने आ चुकी है , जहाँ नकली दवा खाने के चलते लोगो को अपनी जान तक गवानी पड़ी हो , देश में ऐसी कई कम्पनिया है जो चोरी छिपे नकली दवाइयां बेचने का धंधा चलाती है। इसी को देखते हुए दवाओं पर QR CODE लगाने का नया नियम लाया गया है। ताकि लोग उसे स्कैन कर असली दवा की पहचान कर सके। भारत के औषधि महानियंत्रक ने 300 दवा ब्रांडों को अपनी दवाओं पर क्यूआर कोड या बारकोड लगाने के लिए कहा है। ताकि लोग इसे स्कैन कर सकें और उचित और सामान्य नाम, ब्रांड नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच नंबर इत्यादि जैसी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें।
आपको बता दे।
केंद्र सरकार ने नकली दवाओं पर नकेल कसने के लिए फार्मा कंपनियों को दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने का आदेश दिया है। इसमें 1 अगस्त से 300 दवाओं पर QR कोड लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.
भारत के औषधि महानियंत्रक ने 300 दवा ब्रांडों को अपनी दवाओं पर क्यूआर कोड या बारकोड लगाने के लिए कहा है। ताकि लोग इसे स्कैन कर सकें और दवा का उचित और सामान्य नाम, ब्रांड नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच नंबर, निर्माण की तारीख, दवा की समाप्ति की तारीख और निर्माता का लाइसेंस नंबर और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें। .
इन दवाओं में एलेग्रा, शेलकेल, कैलपोल, डोलो और मेफ्टाल शामिल हैं। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने दवा कंपनियों को साफ तौर पर कहा है कि इन बारकोड या क्यूआर कोड को न लगाने पर दवा कंपनियां भारी जुर्माने के लिए तैयार रहें। क्योंकि इस नियम को दंड के दायरे में लाया जाएगा. इसका पालन न करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।