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हेल्थ एंड फिटनेस

सर्वोत्तम है मूंग की दाल, हम इसे बीमारियों में क्यों खाते हैं?

Tripada Dwivedi
16 Aug 2024 12:15 PM GMT
सर्वोत्तम है मूंग की दाल, हम इसे बीमारियों में क्यों खाते हैं?
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सभी जानते हैं कि दालें प्रोटीन से भरपूर होती हैं लेकिन दालों में सबसे उत्तम, स्वास्थवर्द्धक तथा शक्तिवर्धक दाल मूंग की होती है।

मूंग की दाल की खास बात है कि यह सुपाच्य होती है। इसके अतिरिक्त मूंग की दाल में कार्बोहाइड्रेट, कई प्रकार के विटामिन, फॉस्फोरस और खनिज तत्व पाए जाते हें जो अनेक बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखते हैं।

अंकुरित होने के बाद तो इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन्स की मात्रा दोगुनी हो जाती है।

अंकुरित मूंग दाल में मैग्नीशियम, कॉपर, फोलेट, राइबोफ्लेविन, विटामिन-सी, फाइबर, पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन बी-6, नियासिन, थायमिन और प्रोटीन होता है।

कुछ लोगों को लगता है कि मूंग दाल बीमारी में खाने के लिए होती है जबकि मूंग दाल में इतने पौष्टिक तत्व होते है कि अपने भोजन में उसे शामिल करना ही चाहिए।

मात्र एक कटोरी पकी हुई मूंग की दाल में 100 से भी कम केलौरी होती है। इसे खाने के बाद लम्बे समय तक भूख नहीं लगती है।

रात के खाने में रोटी के साथ एक कटोरी मूंग दाल खाने से भरपूर पोषण मिलता है और शीघ्र ही बढ़ा वजन कम होता है। इस तरह मोटापा घटने में मूंग दाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

शोध बताते हैं कि मूंग दाल खाने से त्वचा कैंसर से सुरक्षा भी मिलती है। मूंग की मदद से आसानी से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है, साथ ही मूंग कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करती है।

ये सोडियम के प्रभाव को कम कर देती है, जिससे रक्तचाप बढ़ता नहीं है। मूंग आयरन की कमी को पूरा करने में सक्षम है। आमतौर पर शाकाहारी लोग अपने खाने में कम आयरन लेते हैं। अपने भोजन में मूंग को शामिल करके आयरन की कमी दूर की जा सकती है जिससे एनीमिया का जोखिम भी अपनी आप कम हो जाएगा।

दाद, खाज-खुजली की समस्या में मूंग की दाल को छिलके सहित पीस कर लेप बनाकर उसे प्रभावित जगह पर लगाने से लाभ होता है। टायफॉयड होने पर मूंग की दाल खाने से मरीज को बहुत आराम मिलता है।

किसी भी बीमारी के बाद शरीर कमजोर हो जाता है। मूंग की दाल खाने से शरीर को शक्ति मिलती है।

मूंग की दाल के लेप से ज्यादा पसीना आना भी रुक जाता है। दाल को हल्का गर्म करके पीस लें। फिर इस पाउडर में कुछ मात्रा पानी की मिला कर लेप की तरह पूरे शरीर पर मालिश करें, अधिक पसीना आने की शिकायत दूर हो जाएगी।

मूंग को अंकुरित करके भी उपयोग में लाया जा सकता है, यह बहुत ही गुणकारी और स्वास्थ्वर्द्धक है तथा इसके सेवन से अनेक रोगों से बचाव किया जा सकता है और मुक्ति पायी जा सकती है।

अंकुरित मूंग का सेवन अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी पूरी करती है और शरीर को मजबूत बनाती है। यह सुपाच्य भी है। इससे बेहतर शाकाहारी खाद्य सामग्री कोई नहीं होती है।

अंकुरित मूंग में ग्लूकोज लेवल बहुत कम होता है इस वजह से मधुमेह रोगी इसे खा सकते हैं। अंकुरित मूंग के सेवन से पाचन क्रिया हमेशा सही बनी रहती है जिसके कारण पेट सम्बंधी समस्या नहीं होती है।

अंकुरित मूंग में शरीर के विषाक्त तत्वों को निकालने का गुण होता है। इसके सेवन से शरीर में विषाक्त तत्वों में कमी आती है और शरीर स्वस्थ तथा चुस्त रहता है।

अंकुरित मूंग का नियमित सेवन करने से उम्र का असर जल्दी ही चेहरे पर दिखाई नहीं देता है।

अंकुरित मूंग में पेप्टिसाइड होता है जो रक्तचाप को संतुलित रखता है और शरीर को स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनाए रखने में कारगर होता है।

अंकुरित मूंग में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है जिससे अपच और कब्ज की समस्या नहीं होती है तथा पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है।

मूंग की दाल में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देते हैं और उसे बीमारियों से लड़ने की शक्ति देते हैं।

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