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- बार-बार छींक आने पर...
छींक सभी लोगों को आती है। अगर आपको एक या दो छींक आती है, तो सामान्य मानी जाती है, लेकिन अगर छींक बार-बार आने लगे, या लगातार छींक आने लगे तो यह परेशानी बन जाती है। बार-बार छींक आने से व्यक्ति परेशान एवं चिड़चिड़ा हो जाता है। छींक के कारण कई लोगों को सिर में दर्द भी होने लगता है। अगर आप भी लगातार छींक आने से परेशान हैं, छींक रोकने का घरेलू उपचार भी कर सकते हैं।
-एक चम्मच अदरक का रस लें। इसमें आधा चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में दो बार खाएँ। यह छींक की समस्या से राहत दिलाता है।
-एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच शहद और आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पिएँ। यह छींक से आराम दिलाता है।
-लगातार छींक आने पर थोड़ी-सी हींग लें। इसकी गंध को सूंघे। यह उपाय आपको बार-बार छींक आने की समस्या से राहत पहुंचाता है।
-उबलते हुए पानी में पुदीने के तेल की कुछ बूंदे डाल दें। इसका भाप लें। यह उपाय छींक की समस्या में बहुत फायदा पहुंचाता है।
-एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर उबालें। गुनगुना होने पर छान लें। इसमें शहद मिलाकर पिएं।
-10 ग्राम अजवाइन और 40 ग्राम पुराने गुड़ को 450 मि.ली. पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाए, तो पानी को ठण्डा होने पर पी लें। इसके बाद हवारहित स्थान पर आराम करें।
-हल्दी में एलर्जी से राहत दिलाने की क्षमता होती है। भोजन में हल्दी का प्रयोग अवश्य करें। इसके साथ ही दूध में हल्दी डालकर पिएँ।
-मुलेठी के चूर्ण को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इसका भाप लें। मुलेठी का प्रयोग छींक की परेशानी में लाभदायक साबित होती है।
-उबलते हुए पानी में यूकेलिप्टस के तेल की कुछ बूंदे डालकर भाप लें। इससे छींक आने और बंद नाक की समस्या में काफी आराम मिलता है।
-एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और आधा नींबू का रस मिलाकर पिएँ। यह उपाय लगातार छींक आने की समस्या में लाभ पहुंचाता है।
-लहसुन की 3-4 कली को पीसकर एक गिलास पानी में उबालें। इस पानी को छानकर गुनगुना करके दिन में दो बार पिएँ।
-दो चम्मच मेथी के बीज को पीसकर पानी में उबालें। गुनगुना होने पर इसे पी लें। दिन में दो बार इसका सेवन करने से आराम मिलता है।
-सौंफ डालकर चाय बनाएं, और सेवन करें। एक कप पानी में एक चम्मच सौंफ डालकर उबालें, और गरम-गरम ही पिएँ।
-सरसों का तेल नाक में 2-3 बूंद डालें। तेल को ऊपर की ओर खींचें। इससे छींक आनी बन्द हो जाती है। यह बहुत कारगर उपाय है।
-रोज दिन के भोजन के बाद एक गिलास संतरे का जूस पिएं। इससे छींक और जुकाम से राहत मिलती है। संतरे में विटामिन-सी होता है, जो रोगों से लड़ने में मदद करता है।
-लागातार छींक आने पर पान के पत्ते का रस निकालें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार पिएं।
-बार-बार छींक आने पर रूईं में 2-3 बूंद लैवेंडर का तेल लगाकर सूंघें। इससे छींक से राहत मिलती है।
-छींक को रोकने के लिए एक चावल के दाने के बराबर कपूर को बताशे, या चीनी के साथ खाएं। खाने के बाद पानी पी लीजिए।
-छींक को रोकने के लिए एक बर्तन में पानी लें, उसमें पिपरमिंट के तेल की कुछ बूंद डालें। इसके बाद कपड़े से अपने सिर ढककर सांस लें। इससे छींक आने की समस्या में आराम मिलता है।
-ताजे फल एवं सब्जियों का अधिक से अधिक प्रयोग करें।
-मौसमी फलों का सेवन करें।
छींक की समस्या के दौरान आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
भोजन करने से पहले, और कहीं बाहर से आने पर सबसे पहले हाथों को अच्छी प्रकार धोएँ।
धूल एवं धुएं वाले स्थानों पर मास्क लगाकर जाएं।
सुबह नियमित रूप से प्राणायाम करें। विशेषकर अनुलोम-विलोम एवं कपालभांति रोजाना आधा-आधा घण्टा करें। इससे एलर्जिक अवस्थाओं में विशेष लाभ मिलता है।
एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
ठण्डे और जमे हुए खाद्य पदार्थ, बासी, रेफ्रिजरेटेड, पास्ता, मूंगफली आदि का सेवन बिल्कुल ना करें। यह एलर्जी कारक होते हैं।
ठण्डी और गर्म चीजों का एक साथ सेवन ना करें।
तीव्र गंध वाले परफ्यूम एवं सैनिटाइजर प्रयोग ना करें।
जंकफूड़ ना खाएं
बाहर की गर्मी वाले वातावरण से आकर एकदम से पंखे या ए.सी में नहीं बैठें। ठण्डे पानी से नहीं नहाना चाहिए।
छींक कब आती है?
छींक ज्यादातर सर्दी या जुकाम होने पर होती है। इसका मुख्य कारण वात एवं कफ विकार होता है। इसके साथ ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी और संवेदनशीलता के कारण भी छींक की समस्या देखी जाती है।
छींक क्यों आती है?
नाक के भीतर की संवेदनशील म्यूकस झिल्ली बाहरी धूल के कणों और तीव्र गंध से उत्तेजित हो जाती है, जिस कारण छींक आती है।
छींक की समस्या को बीमारी कब समझना चाहिए?
यदि छींक दो से चार बार हो जाए तो इसमें कोई गम्भीर स्थिति नहीं है। कभी-कभी लगातार छींक के कारण सिर दर्द होने लगता है। यदि अधिक देर तक या बार-बार छींक आने लगे तो उपचार की विशेष जरूरत होती है क्योंकि यह किसी रोग का संकेत भी हो सकती है।
यदि छींक बार-बार या लगातार आ रही हो, तो सर्दी या वायरल संक्रमण का संकेत हो सकता है। ऐसे में लापरवाही करने से रोग और अधिक बढ़ सकता है। ऐसे में तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
सोते हुए अवस्था में छींक क्यों नहीं आती है?
छींकते समय पूरे शरीर में एक कंपन-सा होता है। आँखें बन्द हो जाती हैं। सोते समय हमारे शरीर की नसें आराम की अवस्था में होती हैं, इसलिए सोते समय छींक नहीं आती।