इलाहाबाद में पढ़े और रहे लोग चाहे वो कहीं के भी हों और कहीं भी रहें उनका दिल इलाहाबाद में बसता है
आज 23 सितम्बर 2024 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर इस पावन संस्था से जुड़े रहे और जुड़े हुए सभी लोगों को बहुत बहुत बधाई। आज फिर से मैं ये पोस्ट इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि शिक्षा के इस पावन संस्थान से मेरा और मेरे परिवार का आरंभ से ही संपर्क रहा है।
हमारे परिवार का संपर्क इस विश्वविद्यालय से बहुत पुराना यानी कि कई पीढ़ियों पुराना है।मेरे बाबा के चाचा दीवान बहादुर स्व0 जानकी प्रसाद जी चतुर्वेदी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से B.A. द्वितीय श्रेणी सन 1893 में M.A (English) प्रथम श्रेणी में और दूसरी पोजीशन के साथ सन 1895 में और फिर LLB भी प्रथम श्रेणी में सन 1896 में पास किया था।उस जमाने में एंट्रेंस और इंटर की परीक्षाएं भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय कराता था और स्व0 जानकी प्रसाद जी ने आगरा कालेज,आगरा से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ये परीक्षा पास की थीं अर्थात सन 1889 से हमारे परिवार का इस गौरवशाली विद्या के मंदिर से लगातार संपर्क बना रहा और ये हम लोगों के लिए बड़े गौरव और गर्व की बात है।
उनके बाद मेरे पितामह स्व0 सुशील चंद्र जी चतुर्वेदी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से B.Sc. और LLB किया।उनके बड़े भाई स्व0 सुरेश चंद्र जी जज साहब ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही M.A.(English) किया था।
इसके पश्चात अगली पीढ़ी में मेरे पिताजी के बड़े भाई स्व0 सुबोध चंद्र जी चतुर्वेदी सन 1937 से 1941 तक पढ़े।उन्होंने B.A. और M.A. किया।वो सर गंगा नाथ झा छात्रावास में रहे और प्रो0 ऐ0डी0पंत साहब उनके सहपाठी और मित्र थे।
मेरे दूसरे ताऊजी श्री सुधीर चंद्र जी चतुर्वेदी ने भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से B.A. & LLB किया और वो भी सर गंगा नाथ झा छात्रावास में 1955 से 1963-64 तक रहे।
मेरे पिताजी स्व0 श्री अशोक चंद्र जी चतुर्वेदी ने भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से B.A. और M.A. (Med. History) किया और वो भी 1955 से 1959 तक सर गंगा नाथ झा छात्रावास में रहे।
मैं स्वयं इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र 1978 से 1984 तक रहा और मैंने भी B.A. और M.A. (Modern History) किया फिर श्री वी0सी0पांडे जी के निर्देशन में शोध कार्य शुरू किया जो पूरा न हो सका।मैं भी सर गंगा नाथ झा छात्रावास में रहा और मुझको इस प्रतिष्ठित छात्रावास का सोशल सेक्रेटरी बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ और उस कार्यकाल में हम छात्रावासी लोगों ने पंडित गंगानाथ झा साहब की मूर्ति भी अपने छात्रावास में लगवाई थी।
मेरे छोटे भाई श्री अभिनव चतुर्वेदी ने भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से B.A. किया और वो भी सन 1985-86 तक पंडित गंगा नाथ झा छात्रावास में रहे।
हम लोगों के परिवार के और भी बहुत से लोगों को इस विश्वविद्यालय में पढ़ने का गौरव प्राप्त हुआ है।
जो इलाहाबाद में पढ़ लिया और रह लिया वो कभी इस जगह को और इससे अपने जुड़ाव को भूल नहीं सकता।इलाहाबाद में पढ़े और रहे लोग चाहे वो कहीं के भी हों और कहीं भी रहें उनका दिल इलाहाबाद में बसता है और इलाहाबाद भी उनके दिल के एक कोने में सदैव बसता ही है तथा वो अपने को इलाहाबादी कहलाने में एक फख्र-गौरव सा महसूस करते हैं!
आप सभी को स्थापना दिवस की एक बार पुनः बधाई!
लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं।
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं।