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उत्तराखंड

देहरादून। निगम के पास नही जमीन के कागजात तो क्या बड़े फर्जीवाड़े से जुड़े हो सकते हैं तार !

Harish Thapliyal
9 Sep 2023 7:56 AM GMT
देहरादून। निगम के पास नही जमीन के कागजात तो क्या बड़े फर्जीवाड़े से जुड़े हो सकते हैं तार !
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देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी में पुलिस थाने से लगी जमीन भी सुरक्षित नहीं है। जी हां यह हम नहीं बल्कि डालनवाला थाने के बगल में नगर निगम की तीन बीघा से ज्यादा जमीन पर सहारनपुर के रहने वाले दो लोगों का दावा कह रहा है। यही नहीं मामला राज्य सूचना आयोग गया तो नगर निगम की पोल भी खुल गई और जमीन पर वारिशन हक जताने वालों की हकीकत भी सामने आ गई। अब राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने पूरे मामले में फर्जीवाड़े की आशंका जताते हुए राज्य के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को वर्तमान में चल रहे फर्जी रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की तर्ज पर पूरे मामले की जांच कर जमीन की वास्तविकता जानने के आदेश दिए हैं।

जानकारी के अनुसार डालनवाला थाने के बगल में नगर निगम का दावा है कि उनकी तीन बीघा से अधिक की भूमि मौजूद है। इस जमीन को लेकर सहारनपुर का एक व्यक्ति भवन कर जमा करा देता है। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को कानों-कान खबर तक नहीं लग पाती है। प्रकरण में जब पूर्व पार्षद विनय कोहली ने नगर निगम से शिकायत दर्ज करते हैं, तब अधिकारी भवन कर की इस प्रविष्टि को निरस्त कर देते हैं। अब यह पूरी कहानी सूचना आयोग में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की सुनवाई के दौरान बाहर आई। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सूचना आयुक्त भट्ट ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव गृह को भेजी है। ताकि प्रकरण की जांच हाल में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में गठित एसआइटी या अन्य उच्च एजेंसी से कराई जा सके। सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के आदेश के मुताबिक सहारनपुर निवासी मो. तारिक अतहर ने रायपुर रोड पर डालनवाला थाने के बगल वाली करीब तीन बीघा भूमि (पुराना खसरा नंबर 495, नया खसरा नंबर 497 से 508, 576 से 583 व 792 से 796) पर अपना हक जताते हुए 09 नवंबर 2021 को 39,671 रुपये का भवन कर जमा करा दिया। जबकि मो. अतहर का नाम नगर निगम के किसी भी वर्ष की कर निर्धारण सूची में नहीं था। साथ उन्होंने इस प्रक्रिया के लिए अन्य प्रचलित प्राविधान का पालन किया। इसको लेकर पूर्व पार्षद विनय कोहली ने शिकायत दर्ज कराई थी और इसका संज्ञान लेकर अधिकारियों ने 30 नवंबर 2021 को भवन कर की प्रवष्टि को त्रुटिपूर्ण बताते हुए निरस्त कर दिया।


राज्य सूचना आयोग में ऐसे पहुंचा मामला

इसके बाद पूर्व पार्षद विनय कोहली भवन कर जमा कराने के लिए दाखिल स्वामित्व के अभिलेखों की सूचना निगम से आरटीआइ में मांगते हैं। तय समय के भीतर सूचना न दिए जाने पर पूर्व पार्षद कोहली अपील दायर करते हैं और इस दौरान निगम अधिकारी प्रकरण की जांच भी करा लेते हैं। प्रथम अपील से होते हुए प्रकरण सूचना आयोग जा पहुंचता है। सुनवाई में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट पाते हैं कि अधिकारियों ने जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की है।

गंभीर लापरवाही को खानापूर्ति को जांच

राज्य सूचना आयोग ने प्रकरण में पाया कि बिना उचित प्रमाण के पहले भवन कर जमा करा दिया और बाद में भवन कर की प्रविष्टि को निरस्त कर दी। इस पर जब जिम्मेदार अपनी गर्दन फंसते दिखे तो आनन फानन में खानापूर्ति के लिए आउटसोर्स कर्मी डाटा एंट्री आपरेटर उर्मिला, गुरफान व अंकिता की सेवा समाप्त कर दी गई है। जबकि इस मामले में जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई होनी चाहिए थी।

जमीन के असली कागजात निगम के पास भी नहीं

राज्य सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान कुछ अभिलेखों के परीक्षण में पाया कि भवन कर से संबंधित खसरा नंबर नगर निगम के रिकार्ड में है ही नहीं। हालांकि, एक रिपोर्ट में निगम ने इस जमीन के खसरा नंबर 652 व 653 बताए हैं। फिर भी जमीन की पुष्टि शेष प्रतीत होती है। आयोग ने सवाल किया कि क्या यह जमीन सिर्फ रिकार्ड में दर्ज है या इसका कोई असली वारिश भी है।

जमीन पर सहारनपुर के इसने भी जताया दावा

राज्य सूचना आयोग के संज्ञान में सहारनपुर के ही निवासी नदीम की एक शिकायत लाई जाती है। जिसमें उसने आरोप लगाया है कि मो. तारिक अतहर उसके दादा की जमीन को फर्जी दस्तावेज के माध्यम से कब्जाना चाहता है। यह दस्तावेज भवन कर के लिए निगम कार्यालय में लगाए गए हैं। यह भूमि भी डालनवाला थाने के पास की ही बताई जाती है।

तो बड़े फर्जीवाड़े से जुड़ सकते तार

सूचना आयुक्त योगेश भट्ट अपनी टिप्पणी में कहते हैं कि यह प्रकरण भी हाल में सामने आए रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से संबंधित हो सकता है। क्योंकि, यहां भी मूल दस्तावेज गायब करने या उनमे छेड़छाड़ की प्रबल आशंका है। लिहाजा, इसकी जांच जरूरी है। आदेश की प्रति सचिव शहरी विकास व नगर आयुक्त को भी भेजी गई है। उनसे अपेक्षा की गई है कि वह नगर निगम की समस्त भूमि को मौजूदा स्थिति के साथ अपडेट करें और रिकार्ड के रखरखाव के लिए बेहतर इंतजाम कराएंगे।

Harish Thapliyal

Harish Thapliyal

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