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स्वच्छ भारत: इंदौर ने लगातार सातवें वर्ष पुरस्कार जीता - स्वच्छता बनाए रखने में शहर के चल रहे प्रयासों को प्रदर्शित करने वाली एक सचित्र यात्रा
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इंदौर ने लगातार सातवी बार स्वच्छ शहर का अवार्ड जीत लिया है। सूरत के साथ इंदौर स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में पहले स्थान पर आया है। दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेता शहरों के प्रतिनिधियों को यह अवार्ड सौंपा। इंदौर के अवार्ड को महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त हर्षिकासिंह के साथ नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ग्रहण किया। आइए देखते हैं चुनिंदा तस्वीरें जो आपको बताएंगी की किस तरह से इंदौर को स्वच्छता में नंबर वन लाने के लिए निगम के कर्मचारी, अधिकारी, जनप्रतिनिधि और जनता स्वयं जुटी रहती है।
प्रतिदिन अल सुबह से ही शहर की सड़कों पर निगमकर्मी सफाई के लिए जुट जाते हैं। रात 3 बजे के बाद से यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है। कई बार देर रात के आयोजन में उसी वक्त सड़कों की सफाई की जाती है। इस तरह दिन हो या रात हर समय सफाईकर्मी शहर को स्वच्छ बनाने के लिए जुटे रहते हैं।
एशिया का सबसे बड़ा बॉयो CNG प्लांट इंदौर में है। इंदौर के घरों से हर रोज 500 टन गीला कचरा निकलता है। जिससे रोज 17 हजार किलो बायो CNG और 100 टन जैविक खाद भी बन रही है। इससे हर महीने 4 करोड़ रुपए की कमाई होती है। देवगुराड़िया के पास यह प्लांट बना है।
निगम ने इटली और अमेरिका से मैकेनाइज्ड और ऑटोमैटिक मशीनों को बुलवाया है। इससे शहर के हाईवे से लेकर संकरी गलियों तक को साफ किया जाता है। यह धूल तक को साफ कर देती हैं। रातभर निगम के कर्मचारी इन मशीनों से शहर की सड़कों को साफ करते हैं।
जिन सड़कों पर अधिक धूल दिखती है वहां पर निगम के टैंकरों से पानी डालकर सड़कों को धोया जाता है। प्रेशर वाटर की मदद से सड़कों को चमकाने का काम भी किया जाता है।
शहर में मेट्रो का काम तेजी से चल रहा है। इसके बावजूद सड़कों पर कहीं भी कचरा नजर नहीं आता है।