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शिंदे अयोग्य हुए तो मुख्यमंत्री पद जाएगा; स्पीकर बोले- मैं संवैधानिक फैसला लूंगा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समूह के 16 विधायकों की अयोग्यता पर आज यानी 10 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर फैसला करेंगे। मंगलवार को जानकारी सामने आई थी कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, शिवसेना के दोनों गुटों के विधायकों की सुनवाई पूरी कर ली है और फैसले की तैयारी कर ली है।
इससे पहले महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार (9 जनवरी) को कहा कि स्पीकर का चाहे जो भी फैसला हो, हमारी सरकार स्थिर रहेगी। हमारा अलायंस कानूनी रूप से वैध है और हमें उम्मीद है कि स्पीकर का फैसला भी हमारे पक्ष में ही आएगा।
उधर, स्पीकर नार्वेकर के फैसला सुनाने की डेडलाइन से पहले उनकी महाराष्ट्र CM एकनाथ शिंदे से मुलाकात को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जज ने आरोपियों से दो बार मुलाकात की, इससे जनता समझ चुकी है कि कल फैसला क्या होगा।
इसे लेकर नार्वेकर ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री से 3 जनवरी को मेरी निर्धारित मुलाकात थी। आज मैं एक जरूरी कारण से मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री से मिला, तो क्या इसका मतलब यह है कि मुझे उनसे नहीं मिलना चाहिए। कुछ लोग मेरी निर्णय लेने की प्रक्रिया पर दबाव डालने के लिए ऐसे मूर्खतापूर्ण आरोप लगाते हैं, लेकिन मैं कानून के मुताबिक ही फैसला लूंगा।
स्पीकर नार्वेकर ने फैसला देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगा था
14 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए राहुल नार्वेकर को 10 दिन का और समय दिया था। नार्वेकर को पहले 31 दिसंबर तक का समय दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन बढ़ाकर 10 जनवरी 2024 कर दी। दरअसल, शिवसेना (उद्धव गुट) ने पार्टी तोड़कर जाने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में जल्द फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि विधायकों की अयोग्यता को लेकर 2 लाख 71 हजार से अधिक पन्नों के डॉक्यूमेंट्स दाखिल किए गए हैं। महाराष्ट्र का विधानसभा सत्र भी चल रहा है। इसलिए मुझे फैसला लेने के लिए 3 हफ्ते का समय लगेगा। तब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि विधानसभा स्पीकर ने फैसले में देरी के जो कारण बताए हैं, वो वाजिब हैं। हम अध्यक्ष को फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी तक का समय देते हैं।
भास्कर ने सुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धार्थ शिंदे से जाना कि 10 जनवरी के फैसले के बाद सरकार के पास क्या विकल्प होंगे...
विकल्प 1: अगर शिंदे सेना अयोग्य घोषित हो
मुख्यमंत्री शिंदे को तुरंत इस्तीफा देना होगा। तकनीकी तौर पर सरकार गिर जाएगी। हालांकि अजित पवार के NCP गुट के पास बहुमत से ज्यादा विधायक होने के कारण महायुति सरकार दोबारा आएगी, लेकिन मुख्यमंत्री कोई और होगा। अयोग्य ठहराए गए शिंदे दोबारा शपथ नहीं ले पाएंगे।
विकल्प 2: अगर शिंदे सेना योग्य घोषित हो
शिंदे की सरकार कायम रहेगी। ठाकरे समूह ने पहले 16 विधायकों और बाद में 24 विधायकों को नोटिस जारी किया था। इसलिए यह फैसला सभी 40 विधायकों पर लागू होगा। अजित पवार गुट के विधायक अयोग्यता मामले में भी इसी तर्ज पर फैसला आने की संभावना है।
विकल्प 3: किसी को भी अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा
शिवसेना ने 2018 में संविधान बदला, लेकिन चुनाव आयोग ने कहा कि उसे संविधान बदले जाने की जानकारी नहीं मिली। लिहाजा आयोग ने जन प्रतिनिधियों के बहुमत के आधार पर शिंदे को पार्टी और सिंबल सौंप दिया। विधानसभा अध्यक्ष कह सकते हैं कि इस आधार पर किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन ऐसा होने की संभावना कम है।
फैसले के खिलाफ कोर्ट का सहारा लिया जा सकता है
वकील सिद्धार्थ शिंदे ने कहा कि दोनों गुटों के पास एक-दूसरे के खिलाफ याचिकाएं हैं, इसलिए अगर शिंदे समूह योग्य है, तो ठाकरे समूह अयोग्य हो जाएगा, और अगर शिंदे अयोग्य हो जाता है, तो ठाकरे के विधायक योग्य माने जाएंगे। विधानसभा भंग होने तक अयोग्य विधायकों के पद भी रद्द किए जाएंगे।
ये विधायक 2024 का चुनाव लड़ सकते हैं। अगर ठाकरे या शिंदे गुट को विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय स्वीकार्य नहीं है, तो दोनों समूह 30 दिन के अंदर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अगर कोर्ट इस फैसले पर रोक लगाता है तो याचिकाकर्ताओं को राहत मिलेगी, लेकिन राष्ट्रपति के फैसले पर रोक लगवाना भी चुनौतीपूर्ण है।
नार्वेकर क्या करेंगे?
कोर्ट ने साफ किया था कि शिंदे ग्रुप के व्हिप भरत गोगावले की नियुक्ति अवैध थी। अब अगर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर शिंदे गुट को वैध बनाना चाहते हैं तो उन्हें गोगावले के व्हिप को वैध बनाना होगा। इसलिए यह जरूरी है कि वे इसे कानूनी दायरे में रखकर सरकार को उसके मनमुताबिक फैसला देते हैं या ठाकरे की मांग को स्वीकार करते हैं।
क्या होगा ठाकरे पर असर
अगर एकनाथ शिंदे अयोग्य करार दिए गए तो अब तक पराजित रहे ठाकरे ग्रुप की ताकत बढ़ सकती है। अगर शिंदे योग्य हो गए तो ठाकरे के और सिपाही भी कैंप छोड़ सकते हैं।
क्या होगा शिंदे पर असर
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत कर के मुख्यमंत्री पद हासिल किया, अगर वह योग्य हैं तो उनका नेतृत्व बढ़ेगा। अयोग्य ठहराए जाने पर करियर संकट में आ सकता है।