अगर इस मंदिर मे भाई-बहन गए साथ, तो बन जाते है पति-पत्नी.

Update: 2023-08-12 13:03 GMT

देश में हर धार्मिक स्थलों की अलग-अलग मान्यताएं हैं और कई जगह ऐसी भी हैं जिनकी मान्यताएं बिलकुल विचित्र भी हैं.

ऐसी ही एक जगह है जालौन में भी। सावन का महीना चल रहा और रक्षाबंधन का त्योहार करीब आ रहा हैं , और जालौन से जुड़ी एक ऐसी कहानी हैं जो आपको कुछ वक़्त के लिये सोचने पर मजबूर कर सकती है . ऐसे तो हमारा देश भारत संस्कृति की पहचान के लिए पूरे विश्व भर में मशहूर है, लेकिन यहां कई जगहों पर कुछ ऐसे अनसुलझे रहस्य छुपे हुए हैं जिनके बारे में जानकर आप भी एक पल के लिए आश्चर्यचकित हो जायेंगे . 

बुंदेलखंड की महान धरती कई तरह की परंपराओं और रीति-रिवाजों का एक खूबसूरत सनगम है. पर वही यहाँ की बहुत सारे ऐसे अजीबो-गरीब रीति-रिवाज है जिनका पुराणों के अनुसार हमें पालन तो करना होता है. आपको बता दे जालौन के कालपी में एक ऐसी मीनार है, जिसे लंका मीनार के नाम से भी जाना जाता है. यह कालपी की मीनार लगभग 210 फीट ऊंची है. और इस मीनार को वकील बाबू मथुरा प्रसाद निगम ने बनवाया था.

200 साल से ज्यादा पुरानी इस कालपी के मीनार की कुछ अजीब मान्यताएं हैं और इन मान्यताओं के मुताबिक, लंका मीनार में भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते हैं. दरअसल,इस मीनार के सबसे ऊपर तक पहुंचने के लिए सात परिक्रमाओं से होकर जाना पड़ता है. और हिंदू धर्म के अनुसार भाई-बहन के द्वारा ऐसा कार्य नहीं किया जा सकता. क्योंकि सात परिक्रमाओं का संबंध पति-पत्नी के शादी के सात फेरों के रिश्तों की तरह माना जाता है.और यही सबसे बड़ी कारन है की लंका मीनार के ऊपर भाई-बहन का जाना पूरी तरह से पूर्वजो ने प्रतिबंधित कर दिया है . मंदिर के ठीक सामने एक शिव जी का मंदिर हैं जिसमे हज़ारो भगवानो की मूर्तियां विराजमान हैं. इतिहासकार अशोक कुमार ने बताया कि लंका मीनार का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है. यह दिल्ली में इस्तिथ कुतुब मीनार के बाद की दूसरी सबसे ऊंची मीनार है. इसी के साथ उन्होंने यह भी बताया की इस मीनार का निर्माण गुड़, दाल, कौड़ी और बहुत से अन्य सामग्रियों से हुआ है.|

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