क्या महुआ मोइत्रा के खिलाफ होगी जाँच? 7 नहीं अब 9 नवंबर को बुलाई गई लोकसभा आचार समिति की बैठक |

By :  SaumyaV
Update: 2023-11-06 11:56 GMT

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) के खिलाफ 'कैश फॉर क्वेरी' आरोपों की जांच के लिए 9 नवंबर (गुरुवार) को लोकसभा आचार समिति (Lok Sabha Ethics Committee) की बैठक बुलाई गई है। बता दें कि इससे पहले यह बैठक कल (मंगलवार) को आयोजित होने वाली थी। 

भाजपा नेता विनोद कुमार सोनकर के नेतृत्व वाली लोकसभा की आचार समिति ने अपनी जांच पूरी कर ली है। मंगलवार को समिति बैठक कर मसौदा रिपोर्ट को अपनाने पर विचार कर सकती है। जानकारी के मुताबिक, जांच समिति मोइत्रा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है। मुमकिन है कि महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता भी रद्द हो सकती है। 

क्या है पूरा मामला?

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर रिश्वत के बदले व्यापारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर अडानी ग्रुप को निशाना बनाने वाले सवाल लोकसभा में पूछने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि महुआ ने लोकसभा के मेल आईडी का अपना लॉगइन हीरानंदानी को दे दिया था और वो इससे विभिन्न जगहों से प्रश्न डालता था। दूसरी ओर महुआ ने भी माना है कि हीरानंदानी ने उनके लॉगिन का उपयोग किया है, लेकिन टीएमसी सांसद का कहना है कि उसने रिश्वत पाने या कोई गिफ्ट लेने के लिए नहीं किया है। 

जब बैठक को बीच में छोड़कर बाहर निकल गईं मोइत्रा

महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) गुरुवार (2 नवंबर) को ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ (Cash For Query) मामले में संसद की एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुईं थीं। हालांकि, बैठक को उन्होंने बीच में छोड़ दिया। उन्होंने दावा किया बैठक के दौरान उनसे एथिक्स कमेटी ने उनसे आपत्तिजनक और निजी सवाल पूछे गए।

मोइत्रा ने कहा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखते हुए कहा कि बैठक के दौरान उनके साथ 'वस्त्रहरण' हुआ है। उन्होंने एथिक्स कमेटी पर व्यक्तिगत और अनैतिक सवाल पूछने के आरोप भी लगाए। 

सोनकर ने मोइत्रा के आरोपों से किया इनकार

इस आचार समिति में 15 सदस्य हैं जिनमें बहुमत भाजपा का है। समिति मोइत्रा के आचरण पर गंभीर रुख अपना सकती है, खासकर ऐसी सूरत में जब उन्होंने पिछली बैठक में सोनकर पर उनसे तुच्छ और व्यक्तिगत सवाल पूछने का आरोप लगाया था।

सोनकर ने मोइत्रा के आरोपों से इनकार किया था। समिति में शामिल विपक्षी दलों के सदस्यों ने मोइत्रा के रुख का समर्थन किया था और दो नंवबर की बैठक में हंगामे के बाद बाहर निकले थे।

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