डीके शिवकुमार के साथ 3 डिप्टी सीएम बनाने का फॉर्मूला चर्चा में क्यों है?

Update: 2023-09-16 09:28 GMT

डीके शिवकुमार के साथ 3 डिप्टी सीएम बनाने का फॉर्मूला चर्चा में क्यों है?

कर्नाटक में सरकार बनने के 6 महीने बाद सियासी शह-मात का खेल शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के करीबी और सरकार में सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने कर्नाटक में 3 और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग की है. कर्नाटक में अभी डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम हैं.

अंग्रेजी अखबार डेक्केन हेराल्ड के मुताबिक सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने कांग्रेस हाईकमान को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने राज्य में लोकसभा जीतने के लिए 3 और डिप्टी सीएम बनाने की मांग की है. राजन्ना ने कहा है कि सरकार बनने के बाद सत्ता की हिस्सेदारी सभी को नहीं मिल पाई है, जिसका लोकसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है.राजन्ना से पहले बीके हरिप्रसाद भी 2 डिप्टी सीएम बनाने की पैरवी कर चुके हैं. वहीं राजन्ना के पत्र पर कर्नाटक सरकार में डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है. शिवकुमार के भाई और सांसद डीके सुरेश ने भी इस मुद्दे को राजन्ना पर ही छोड़ दिया है.

कर्नाटक सरकार में मंत्री और मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक ने कहा है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है और सबको अपनी मांग रखने का अधिकार है. बात रही योग्यता की, तो कर्नाटक कांग्रेस में कई लोग मुख्यमंत्री बनने के भी योग्य हैं.

राजन्ना ने बताया डिप्टी सीएम को लेकर क्या फॉर्मूला है?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में राजन्ना ने कहा है कि कर्नाटक में सरकार बनने के बाद पिछड़ा वर्ग से आने वाले सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनाए गए, जबकि वोक्कलिगा समुदाय के शिवकुमार को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली, लेकिन दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली. आगे अपनी बात रखते हुए राजन्ना ने कहा है कि सभी को साधने के लिए कम से कम 3 और डिप्टी सीएम बनाने की पहल हो. राजन्ना ने खड़गे से मांग की है कि एक दलित, एक अल्पसंख्यक और एक लिंगायत समुदाय के विधायक को डिप्टी सीएम बनाया जाए. सिद्धारमैया के करीबी मंत्री ने यह भी कहा है कि ऐसा करने से लोकसभा चुनाव में फायदा होगा. उन्होंने शिवकुमार के डिप्टी सीएम के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने का भी जिक्र किया है. राजन्ना ने अपने पत्र में अल्पसंख्यक और दलित समुदाय के बढ़-चढ़कर वोट देने की भी बात कही है.

सियासी हथियार तो नहीं, उपमुख्यमंत्री का पद?

राज्य सरकार और उसके मुखिया के बारे में भारत संविधान के अनुच्छेद 164 में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि राज्यों में विधायक दल का नेता मुख्यमंत्री होगा. मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल मंत्रिमंडल का गठन करेंगे.संविधान में उपमुख्यमंत्री पद का कोई जिक्र नहीं है. राज्यपाल उपमुख्यमंत्री को मंत्री पद की ही शपथ दिलवाते हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री की सलाह पर उन्हें उपमुख्यमंत्री का नाम दिया जाता है. उपमुख्यंत्री को सरकार का सबसे वरिष्ठ मंत्री माना जाता है.अभी सबसे ज्यादा उपमुख्यमंत्री आंध्र प्रदेश में हैं. यहां जगन मोहन रेड्डी ने 5 डिप्टी सीएम बनवाए हैं. उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में 2 डिप्टी सीएम हैं. देश में पहली बार कर्नाटक में ही डिप्टी सीएम बनाया गया था. कांग्रेस की वीरप्पा मोईली की सरकार में एसएम कृष्णा को डिप्टी सीएम बनाया गया था. जानकार डिप्टी सीएम पद को समीकरण साधने का सबसे बड़ा सियासी हथियार मानते हैं.

हरिप्रसाद का 2 डिप्टी सीएम बनाने का फॉर्मूला क्या था?

हाल ही में कांग्रेस के कद्दावर नेता बीके हरिप्रसाद ने शिवकुमार के साथ 2 डिप्टी सीएम बनाने की पैरवी की थी. हरिप्रसाद ने कहा था कि आदिवासी और दलित को साधने के लिए यह कवायद जरूरी है. उन्होंने डिप्टी सीएम के लिए 2 नाम भी सुझाए थे. हरिप्रसाद के मुताबिक सतीश जरकिहोली और जी परमेश्वर को शिवकुमार के साथ डिप्टी सीएम बनाने की जरूरत है. हालांकि, उन्हे सिर्फ कैबिनेट मंत्री बनाया गया. परमेश्वर कुमारस्वामी की सरकार में डिप्टी सीएम रह चुके हैं.

यहीं सियासी घमासान की शुरुआत तो नहीं है?

कर्नाटक की राजनीति में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या कांग्रेस में आंतरिक घमासान की शुरुआत हो गई है? पहले हरिप्रसाद का मुख्यमंत्री पर बोलना और अब राजन्ना का उपमुख्यमंत्री पद को लेकर पत्र ने इन अटकलों को और बल दिया है.हरिप्रसाद ने एक रैली में मुख्यमंत्री पर अपनी तिखी बातो से घेरा था, तब कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें नोटिस जारी किया था. वहीं लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से राजन्ना का पत्र सामने आया है, उसके औचित्य पर सवाल उठ रहे हैं.

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