Women Reservation Bill से क्या होगा बदलाव? जानिए बिल से जुड़ी महत्वपूर्ण बाते।

Update: 2023-09-20 08:12 GMT

Women Reservation Bill से क्या होगा बदलाव? जानिए बिल से जुड़ी महत्वपूर्ण बाते।

Women Reservation Bill in Parliament: संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक में प्रावधान है कि लोकसभा दिल्ली, विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगी। यानी कि महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित रहेगी। इस ऐतिहासिक बदलाव के बाद से सक्रिय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेंगी।

HIGHLIGHTS

पहली बार 12 सितंबर 1996 को पेश किया गया था बिल।

पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है महिला आरक्षण बिल।

लोकसभा में 181 हो जाएंगी महिला सांसदों की संख्या।

संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन नई संसद में महिलाओं से जुड़ा ऐतिहासिक बिल पेश किया गया। आपको बता दे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पेश किया। इस विधेयक के कानून में बदलने के बाद सदन में महिलाओं की 33 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगी।

महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी


 



दिल्ली विधानसभा में महिला आरक्षण विधेयक महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का प्रावधान है। इसके बाद दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी अनिवार्य हो जाएगी। इससे राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं को सक्रिय राजनीति में आगे बढ़ने में गति मिलेगी। इस कानून के बाद लोकसभा में कम से कम 181 महिला सांसद चुनकर आएंगी, फिलहाल सदन में महिला सदस्यों की संख्या 82 है।

सभी विधानसभाओं में प्रावधान लागू होगा

दिल्ली विधानसभा और लोकसभा के जैसे ही देश के सभी राज्यों के विधानसभाओं में भी ये बदलाव लागू होगा। जैसे लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। ठीक उसी तरह से सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की 33 प्रतिशत सीटें अनिवार्य हो जाएगी।

15 वर्षों तक रहेगा आरक्षण का प्रभाव

इस बिल के पास होने के बाद लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ जाएगी। महिलाओं के लिए लाए गए आरक्षण 15 वर्षों तक प्रभाव में रहेगा। इसके साथ ही इसमें प्रावधान है कि सीटों का आवंटन रोटेशन प्रणाली के तहत की जाएगी।

विधेयक 27 वर्षों से अटका था।

पिछले 27 वर्षों से महिला आरक्षण बिल लटका हुआ है। इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था। हालांकि, ये बिल उस वक्त पास नहीं हो सका था। इसके बाद भी तमाम सरकारों ने इसे कानून का रूप देने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए।

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