स्वामी बोले- भाषा में सलीका नहीं पता नहीं किस बात के प्रोफेसर हैं रामगोपाल, अखिलेश ने किया पलटवार

Update: 2024-02-20 06:05 GMT

नई पार्टी का एलान के साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य और सपा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। स्वामी के हमलों में अखिलेश के साथ-साथ राम गोपाल यादव भी हैं। अखिलेश ने भी इस पर पलटवार किया है। 

 अपनी नई पार्टी के एलान के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव के रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। इन रिश्तों में अब जुबानी जंग भी शामिल हो गई है। सपा एमएलसी और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सोमवार को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव व प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव पर बरसे। उन्होंने अखिलेश के लाभ देने के बयान पर कहा कि जब आप (अखिलेश) लाभ देने की स्थिति में न हों, तब इस तरह की शेखचिल्ली वाली बातें बघारना उचित नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि अखिलेश को यह जानने की जरूरत नहीं है कि उनके दिल में क्या है। यह तो उन्होंने अपने त्यागपत्र में स्पष्ट कर दिया है। पद से इस्तीफा देने के एक दिन पहले अखिलेश से मिलकर भी पूरी स्थिति साफ कर दी थी। कहा कि अखिलेश के बयान से ऐसे लगता है कि मानो सपा की सरकार हो और वह मुझे लाभ दे रहे हों। मैंने हमेशा पद से ज्यादा विचारों को तरजीह दी है। स्वामी ने कहा कि तमाम छुटभैय्ये नेता भी उनके खिलाफ शेखचिल्ली बघारने लगे है। सपा अध्यक्ष का उन पर लगाम न लगाना और उनके पत्र को गंभीरता से न लिया जाना, इस बात का प्रतीक है कि ऐसे तत्वों के पीछे अखिलेश यादव की शह थी।

एमएलसी पद छोड़ने के संकेत

स्वामी ने कहा कि अखिलेश जो कुछ भी हमें दिया है, कुछ तो मैंने वापस कर दिया और कुछ वापस हो जाएगा। उनका इशारा एमएलसी पद छोड़ने की तरफ था। कहा कि वैचारिक टकराव का मौका आता है तो पहाड़ से भी टकराने की हिम्मत रखते हैं। भाजपा में जाने के सवाल पर कहा कि जिसको ठुकरा देते हैं, उससे कभी दोस्ती नहीं करते हैं।

जो बड़बोला, वही शेखचिल्ली

स्वामी प्रसाद ने कहा कि बसपा में नेता विरोधी दल रहते हुए पार्टी को छोड़ दिया था। सत्ता में रहते हुए भाजपा को छोड़ दिया था, क्योंकि ओबीसी की जगह सामान्य जाति के लोग भर्ती किए जा रहे थे। यह पूछे जाने पर कि सपा में शेखचिल्ली कौन है, स्वामी ने कहा कि जो बड़बोला होगा, वही शेखचिल्ली होगा।

भाषा में सम्मान नहीं, पता नहीं कैसे प्रोफेसर हैं रामगोपाल

प्रो. रामगोपाल पर स्वामी ने कहा कि पता नहीं वह कैसे प्रोफेसर हैं। उनकी भाषा में न सम्मान है, न बातचीत का सलीका। वह सपा के हितेषी हैं या दुश्मन, कोई अभी तक समझ नहीं पाया। स्वामी ने कहा कि पार्टी के अंदर ही पदों में भेदभाव किया जा रहा है। जो सेक्युलर होने की दुहाई देते हैं, वे भाजपा की पिच पर खेलने के आदी हैं। ऐसे लोगों से सपा का भला होने वाला नहीं है।

लाभ लेकर तो हर कोई चला जाता है 

यहां लाभ लेने के लिए तो सभी आते हैं। लाभ लेने के बाद कौन साथ देता है, मौके पर कौन टिकता है, यह महत्वपूर्ण है। किसी के मन में क्या है, यह कौन बताएगा। क्या ऐसी कोई मशीन है जिससे पता चल पाए कि किसके मन में क्या चल रहा है। लाभ लेकर तो हर कोई चला ही जाता है। - अखिलेश यादव, सपा अध्यक्ष (स्वामी पर पूछे गए सवाल पर कहा)

नहीं मना पाए रामगोविंद

सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री राम गोविंद चौधरी सोमवार को स्वामी प्रसाद को मनाने पहुंचे पर बात नहीं बनी। चौधरी ने कहा कि उनसे निवेदन करने के लिए गया कि पार्टी न छोड़ें और पीडीए को मजबूत करें। अखिलेश को जल्द से सत्ता में लाएं और मुख्यमंत्री बनवाएं। इस पर स्वामी ने उन्हें जवाब दिया कि गंभीरता से इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे। हालांकि इस मुलाकात में बाद ही सपा अध्यक्ष ने स्वामी को लेकर तल्ख टिप्पणी की।

नई पार्टी बनाएंगे

नई पार्टी के गठन के सवाल पर स्वामी ने कहा कि 22 फरवरी को कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली में बैठक करेंगे। सूत्र बताते हैं कि स्वामी ने अपनी नई पार्टी का नाम और झंडा तय कर दिया है।

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