कांग्रेस की हालत पर प्रणब मुखर्जी की बेटी 'अगर किसी के नेतृत्व में पार्टी लगातार हार रही तो...',
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और लेखिका शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि अगर किसी नेता विशेष के नेतृत्व में कोई पार्टी लगातार हार रही है तो उसके बारे में सोचना जरूरी है। इसलिए कांग्रेस को सोचना चाहिए कि पार्टी का चेहरा कौन होना चाहिए।
लगातार दो बार हार चुके
सोमवार को 17वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से इतर पत्रकारों से उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि साल 2014 और 2019 में राहुल गांधी बेहद बुरे तरीके से हारे थे। वह कांग्रेस का चेहरा थे। दो लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। अगर किसी नेता विशेष के नेतृत्व में कोई पार्टी लगातार हार रही है तो उसके बारे में सोचना जरूरी है। कांग्रेस को सोचना चाहिए कि पार्टी का चेहरा कौन होना चाहिए।
कांग्रेस अब भी मुख्य विपक्षी दल
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस देश में अब भी मुख्य विपक्षी दल है। इसका स्थान निर्विवाद है, लेकिन यह प्रश्न है कि इसे मजबूत कैसे किया जाए? इस पर विचार करना पार्टी नेताओं का काम है। उन्होंने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र की बहाली, सदस्यता अभियान, पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव और नीतिगत निर्णयों की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को शामिल करने की जरूरत है, जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी डायरी में लिखा है। इसके अलावा कोई जादू की छड़ी नहीं है।
लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं
पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने आगे कहा कि लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं, आप उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस विचारधारा का अस्तित्व गलत है। इसलिए बातचीत होना जरूरी है। जब मेरे पिता सक्रिय राजनीति में थे, तो उन्हें आम सहमति बनाने वाला माना जाता था, क्योंकि संसद में गतिरोध के दौरान पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ चर्चा करने का उनका गुण था। लोकतंत्र सिर्फ बोलने का मतलब नहीं है, दूसरों को सुनना भी बहुत जरूरी है। उनकी विचारधारा थी कि लोकतंत्र में संवाद होना चाहिए।