कावेरी जल विवाद को लेकर...प्रेस कॉन्फ्रेंस में रो पड़े देवगौड़ा; पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

Update: 2023-09-25 09:51 GMT

कावेरी जल विवाद को लेकर...प्रेस कॉन्फ्रेंस में रो पड़े देवगौड़ा; पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी



कावेरी जल विवाद को लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के सांसद एचडी देवेगौड़ा ने आज (25 सिंतबर) को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कावेरी जल विवाद को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा मैं केंद्र से कर्नाटक में एक टीम भेजने और उन्हें राज्य में वर्तमान जल स्थिति की जांच करने का अनुरोध करता हूं। उन्होंने इस विवाद के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा है।

प्वाइंटस 

केंद्र से कर्नाटक में एक टीम भेजने की अपील की- एचडी देवगौड़ा

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भावुक हुए देवगौड़ा

कावेरी जल विवाद: कावेरी जल विवाद को लेकर एक तरफ जहां कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य आमने-सामने हैं। वहीं, इस मामले पर राजनीति भी खूब हो रही है। कर्नाटक सरकार का मानना है कि राज्य पहले से ही सूखे से ग्रस्त है, इसलिए तमिलनाडु को पानी दे पाना काफी मुशिकल है।

वहीं, कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने कर्नाटक को आदेश दिया है कि वह तमिलनाडु को 5000 क्युसेक पानी जारी करे।

हम यहां राज्य के लोगों को बचाने के लिए हैं, एचडी देवेगौड़ा

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कावेरी जल विवाद पर चिंता जाहिर करते हुए कहा," मैं केंद्र से कर्नाटक में एक टीम भेजने और उन्हें राज्य में वर्तमान जल स्थिति की जांच करने का अनुरोध करता हूं। '

जेडीएस नेता ने आगे कहा," मैं राजनीति या सत्ता के लिए जीवित नहीं हूं। हम यहां राज्य के लोगों को बचाने के लिए हैं, मेरी पार्टी इसी के लिए है।"

मैंने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी- देवगौड़ा



आगे उन्होंने कहा,"मैंने मौजूदा स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी से अपील की है; और प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में मैंने लिखा है कि जल शक्ति विभाग को एक समीक्षा याचिका दायर करनी चाहिए। पानी और खड़ी फसल की स्थिति का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति कर्नाटक भेजी जानी चाहिए। "

सदन में , एक समिति बनाने को लेकर कि थी अपील

कुछ दिनों पहले देवगौड़ा ने कहा था कि उन्होंने सदन में यह बात कही है कि कावेरी जल विवाद का निपटारा करने के लिए पांच ऐसे सदस्यों को भेजा जाए जो तमिलनाडु और कर्नाटक से ताल्लुक नहीं रखते हैं। इन सभी लोगों की एक समिति वहां की परिस्थितियों, फसल और स्थिति का अवलोकन करे। इसके बाद वो एक रिपोर्ट सौंपे और इस मामले पर विचार किया जाए, ताकि भविष्य में होने वाले नुकसान से बचा जा सके, लेकिन अध्यक्ष ने उनकी इस मांग को मानने से इंकार कर दिया।

बता दें कि यह विवाद की शुरुआत साल 1974 से हुई जब कर्नाटक ने तमिलनाडु की सहमति के बिना पानी मोड़ना शुरू कर दिया। इसके बाद साल 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया। कावेरी नदी पश्चिम कर्नाटक के पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरी पहाड़ी से होकर पुडुचेरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी की ओर चली जाती है।

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