सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस-TMC के बीच ठनी! गठबंधन समिति से ममता बनर्जी ने बनाई दूरियां
तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति के साथ किसी भी बैठक में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजेगी। तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को उन दो सीटों की पेशकश की है जो उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में जीती थीं। कांग्रेस का कहना है कि दो सीट बहुत कम है और इसे स्वीकार करना मुश्किल है।
तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति के साथ किसी भी बैठक में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजेगी, क्योंकि वह पहले ही देश की मुख्य विपक्षी पार्टी को अपने रुख से अवगत करा चुकी है। तृणमूल सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
TMC ने कांग्रेस को दो सीटों की पेशकश की
कांग्रेस की गठबंधन समिति 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (I.N.D.I.A) के अपने सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे को लेकर राज्यवार बातचीत कर रही है। तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को उन दो सीटों की पेशकश की है, जो उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में जीती थीं। बंगाल में लोकसभा की 42 सीट हैं।
गोवा में कांग्रेस का समर्थन करने को TMC तैयार
कांग्रेस का कहना है कि दो सीट बहुत कम है और इसे स्वीकार करना मुश्किल है। इस प्रस्ताव में कोई भी बदलाव केवल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही कर सकती हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा,
तृणमूल मेघालय में एक सीट और असम में कम से कम दो सीटों पर लड़ने पर विचार कर रही है। तृणमूल की स्थानीय इकाई गोवा में एक सीट से लड़ने की आकांक्षी है, जहां उसे 2022 के विधानसभा चुनाव में लगभग पांच प्रतिशत मत हासिल हुए थे, लेकिन वह इसके लिए दबाव नहीं डालेगी और इस तटीय राज्य में कांग्रेस का समर्थन करेगी।
बंगाल में लोकसभा की कितनी सीटें हैं?
बंगाल के संदर्भ में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि तृणमूल की पेशकश पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के वोट शेयर पर आधारित है। बंगाल की 42 सीटों में से कम से कम 39 सीटों पर कांग्रेस को अतीत में पांच प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे। बंगाल में कांग्रेस को 2021 के विधानसभा चुनाव में 2.93 प्रतिशत, 2016 के विधानसभा चुनाव में 12.25 प्रतिशत और 2019 के लोकसभा चुनाव में 5.67 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।
वहीं, दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बंगाल की 42 लोकसभा सीटों को देखते हुए ममता नहीं चाहती हैं कि अल्पसंख्यक वोट बैंक का बंटवारा हो। इसलिए कांग्रेस को अपने खेमे में भी लाना चाहती हैं।