चिदंबरम ने नए क्रिमिनल लॉ पर जताई नाराजगी, बोले- नई भारतीय दंड संहिता और कठोर बना दी गई
कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा कि तीन आपराधिक विधेयकों के 90 प्रतिशत प्रविधान मौजूदा कानूनों के समान हैं। उन्होंने कहा कि ये विधेयक तब पारित किए गए जब 146 विपक्षी सांसद संसद से निलंबन का सामना कर रहे थे। जिस तरह से ये विधेयक पारित हुए मुझे लगता है कि हमारी संवैधानिक संस्थाओं को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को मंजूरी दिए जाने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि नई भारतीय दंड संहिता और अधिक कठोर हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि 2024 में जो भी सरकार बने, उसे इन कानूनों की समीक्षा करनी चाहिए और कठोर प्रविधानों को हटा देना चाहिए।
पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा, क्रिसमस समारोह के खत्म होने के साथ यह खबर आती है कि राष्ट्रपति ने तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है। नई भारतीय दंड संहिता अधिक कठोर हो गई है। चिदंबरम ने कहा, अगर आप यह महसूस करते हैं कि संहिता का इस्तेमाल अक्सर गरीबों, मजदूरों और कमजोर वर्गों के खिलाफ किया जाता है, तो कानून इन वर्गों के लोगों के खिलाफ उत्पीड़न का एक साधन बन जाएगा।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 146 विपक्षी सांसदों के जानबूझकर निलंबन की मदद से पिछले सप्ताह संसद में पारित किए गए तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। कई प्रतिष्ठित वकील और न्यायविद पहले ही इसके विनाशकारी परिणामों की ओर इशारा कर चुके हैं। रमेश ने मजाकिया लहजे में कहा, भारतीय दंड संहिता की सबसे मशहूर धारा 420 अब इतिहास बन गई है।
इससे प्रेरित होकर 1955 में राज कपूर-नरगिस की एक हिट फिल्म श्री 420 आई थी, जिसमें कई सुपरहिट गाने थे। अब से यह भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316 होगी। जयराम ने कहा, कोई बात नहीं, श्री 420 नहीं तो श्री जी20 ही सही!
90 प्रतिशत प्रविधान मौजूदा कानूनों जैसेः सिब्बल
एएनआइ के अनुसार, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा कि ब्रिटिश काल के आइपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के उद्देश्य से बनाए गए तीन आपराधिक विधेयकों के 90 प्रतिशत प्रविधान मौजूदा कानूनों के समान हैं। उन्होंने कहा कि ये विधेयक तब पारित किए गए, जब 146 विपक्षी सांसद संसद से निलंबन का सामना कर रहे थे। जिस तरह से ये विधेयक पारित हुए, मुझे लगता है कि हमारी संवैधानिक संस्थाओं को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए था।